Friday, September 24, 2010

फैसले में देरी दुर्भाग्यपूर्ण

राम जन्मभूमि पर फैसले को लेकर जिस तरह सर्वोच्च न्यायालय में गतिरोध उत्पन्न किया जा रहा है, उसे लेकर देश भर के साधु संतों में व्यापक क्षोभ है। राम जन्मभूमि पर निर्णय का राष्ट्र अरसे से प्रतीक्षा कर रहा है। जिस फैसले को लेकर अब तक 12 बार न्यायिक पीठों का गठन हुआ है। 36 न्यायाधीशों ने व्यापक विचार किया है। और जो बहस दर बहस बरसों की विचार प्रक्रिया के बाद निर्णय तक पहुंचा हो, उस फैसले को टालने का निर्णय उचित नहीं है। मैं सर्वोच्च न्यायालय से विनम्र आग्रह करता हूं कि वो किसी एक गैर जिम्मेदार व्यक्ति की अपील के चक्कर में न फंसे।

हम जानते हैं कि फैसलों में हो रही देरी के कारण जो स्थितियां निर्मित होती हैं, वो देश के लिए दुर्भाग्य पूर्ण होती हैं। सन 1992 में भी इसी तरह फैसला सुरक्षित कर लिया गया था। समय सीमा में निर्णय न देने के कारण हालात ऐसे बने कि बाबरी मस्जिद को कारसेवकों द्वारा गिरा दिया गया।

सर्वोच्च न्यायालय एक उच्च और उदार संस्था है। उसे चाहिए कि देश के सार्वभौमिकता व जन साधारण की भावनाओं ध्यान में रखते हुए 28 सितंबर को निर्णय रोकने की अपील पर विचार न करे। बल्कि फैसला देकर देश के मन में राम जन्मभूमि को लेकर जो संशय है, उसे दूर करे। ऐसा करने से न्याय की और न्यायपालिका की इज्जत बढ़ेगी और लोगों का भरोसा बढ़ेगा।

सवा सौ सालों से चलने वाला मुकदमा फैसले के मोड़ पर पहुंच गया है। मैं समझता हूं कि फैसला जितना साफ सुधरा और स्पष्ट होगा उतना ही मसले के समाधान में मदद मिलेगी। लेकिन, फैसले में देरी लोगों को आशंकित करेगी। मेरा मानना है कि फैसले को लेकर किसी पक्ष में कोई तनाव नहीं है, और न कोई उन्माद है। मीडिया और सरकार इस मामले को ज्यादा तूल दे रही है। फैसले का स्वागत करने के लिए दोनों पक्ष तैयार है। नहीं तो सुप्रीम कोर्ट का रास्ता खुला हुआ है। लेकिन, फैसले को अटकाने की कोशिश दुर्भाग्यपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट को अब 28 सितंबर को इन नापाक कोशिशों से बचते हुए राम जन्म भूमि पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।

4 comments:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

कांग्रेस नही चाहती फ़ैसला आये . इसलिये अडंगा डाला जा रहा है . और क्या होगा फ़ैसले में ...... सब को मालूम है . लेकिन दुनिया की कोई ताकत वहा से रामलला को तो हटा नही सकती

ब्लॉ.ललित शर्मा said...


फ़ैसला आ ही जाना चाहिए।

तेरे जैसा प्यार कहाँ????
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

Anonymous said...

Dhirendra Pratap Singh swami ji ramjanm bhoomi ke aandolan ko ak baaar fir se aapke prakhar netritav ki jaroorat h kripaya ise sweekar kare--apka dhirendra from dehradun

अजय मूड़ौतिया said...

स्वामी जी, फैसले के बाद आपकी प्रतिक्रिया का भी हमें बेसब्री से इंतजार है..

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