Monday, May 2, 2011

इंसानियत का दुश्मन मारा गया.

इंसानियत का दुश्मन ओसामा बिन लादेन मारा गया. यह तो होना ही था. अमेरिका के हाथों उसकी मौत ने एक फिर साबित कर दिया कि विश्व में जब भी कोई ताकत इंसानियत को भुलाकर अपनी चलाने की कोशिश करेगी तो उसका यही हश्र होगा. आश्चर्य है कि सद्दाम और ओसामा बिन लादेन जैसे लोगों के बनाने और मिटाने दोनों के पीछे अमेरिका का हाथ था, कारण भले ही अलग-अलग हों. अमेरिका ने ही इन लोगों को संरक्षण दिया था और अमेरिकी इशारे पर ही इनका अंत हुआ. आज यह सोचने के लिये पर्याप्त अवसर हैं कि इस प्रकार तानाशाहों का अंत होने से विश्व से तानाशाही अवश्य खत्म हो जायेगी पर किसी देश का इस प्रकार तानाशाह बन जाना भी कम खतरनाक नहीं. हमें उन धार्मिक लोगों से भी सबक सीखना होगा जो मज़हब को हथियार बनाकर मासूम लोगों के खून की नदियाँ बहाते हैं. ऐसे मज़हब जो इन तानाशाहों के पक्ष में खड़े होते हैं उन्हें खुदाई मज़हब या ईश्वरीय धर्म कहना मेरे हिसाब से एक गुनाह है. इसलिए धार्मिक दृष्टि से सोचने वालों को एक बार उस भारतीय सोच को समझना होगा जिसने अहिंसा और 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' की बात की थी. इसके साथ ही भारतियों भी आवश्यकता है अमेरिका से सबक लेने की जो दूसरों को शांति का पाठ पढ़ाता है पर खुद पर आंच आने पर किसी को नहीं बख्शता. लादेन यदि अमेरिका के लिये भस्मासुर की भूमिका में आ गया था तो अमेरिका ने भी दिखा दिया कि वह उसका बाप है. यदि वह उसे बना सकता है तो मिटा भी सकता है. दूसरी और हम हैं जो भारत के दिल पर हमला करने वाले अफजाल गुरु और कसाब की मेहमान नवाजी में लगे हैं. दुश्मन को पहचान कर ठिकाने लगाना हिंसा नहीं बहादुरी है और भारतीय जाने जाते हैं अपनी बहादुरी के लिये. यदि हम अपनी बहादुरी भुला बैठे हैं तो अमेरिका मौजूद है हमारा सबक बनने को....

6 comments:

Mind Walker said...

प्रणाम बाबाजी. काश सरकार में बैठे लोग रीढ़ सीधी कर खड़े हो पायें.

Satya Prakash Tiwari said...

अमेरिका जैसी दृढ़ इच्छा शक्ति हमारे नेताओ में क्यों नहीं है गुरु जी

डॉ. मनोज मिश्र said...

सटीक और गंभीर विश्लेषण. काश यह इच्छा शक्ति हमारे यहाँ भी हो जाय......

सहज समाधि आश्रम said...

nice post

Swarajya karun said...

विचारणीय आलेख. आभार.

Shikha Kaushik said...

swami ji -sadar pranam. bahut sahi likha hai .aabhar .

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