मैं एक संत हूँ, क्योंकि मैं महसूस करता हूँ कि मैं एक संत हूँ। लोगों के लिये मैं एक राजनीतिज्ञ, विभिन्न संगठनों का मुखिया या फिर गुरू हो सकता हूँ, पर वे सभी मेरे व्यक्तित्व के भिन्न-भिन्न प्रतिबिम्ब मात्र हैं। मैं एक आत्मा हूँ जो परमात्मा से अभिन्न है, जिसका कोई मज़हब, जाति या नाम नही है। मैं लोगों से प्रेम करता हूँ। इसलिये नहीं कि वे मुझे प्रेम करते हैं बल्कि इसलिये कि मैं स्वयं से प्रेम करता हूँ और वे सभी मेरे अपने हैं। लोग कहते हैं कि मैंने समाज के लिये बहुत कुछ किया है पर जब मैं उस पर दृष्टि डालता हूँ तो सोचता हूँ कि अभी और क्या करना है। मुझे हमेशा लगता है कि ईश्वर ने मुझे एक उद्देश्य पूरा करने को धरती पर भेजा है और वापस लौटने से पहले मुझे अपना काम समाप्त करना है। मै अपने जीवन को ऐसे देखना चाहता हूँ जैसे नदी का प्रवाह, बच्चे की मुस्कान या फिर फूलों की सुगंध। कोई नदी रूककर नहीं कहती देखो, मैंने तुम्हें जल दिया, मेरी पूजा करो। कोई मासूम बच्चा जब अपनी मीठी मुस्कान देकर आपको भी मुस्कराने पर मजबूर कर देता है तो बदले में कुछ नहीं मांगता। फूल अपनी सुगंध देते हुए नहीं विचारते कि इसने मुझे पानी दिया या नहीं, या ये कहीं मुझे तोड़ने तो नहीं आ रहा। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि मुझे भी इन्हीं की तरह निस्वार्थ बनाये रखे।
1 comments:
Satya jankari ke liye apka abhar.
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